देहरादून पर्यटन स्थल Part One - Jhandewalan Mandir Near Saharanpur Chowk
आज रविवार का दिन है सुबह के ५ के तरह आज भे मैं सुबह शिवजी महाराज की कृपा से मैं जल्दी उठ गया तथा अपनी दैनिक दिनचर्या से निवृत होकर बैठा अपने व्यवसाय को आगे बढाने कै बारे मैं सोच रहा था जो हैं मेरा प्यारा व्यवसाय ऑनलाइन मार्केटिंग...
तभी मेरे दिमाक मैं आता हैं क्यूँ न मैं आज देहरादून के पर्यटन स्थल कै बारे मैं लिखता हूँ परन्तु तभा मैं सोचता हूँ क्यूँ न मैं भी ट्रेवल ब्लॉगर की तरह किसी पर्यटन स्थल पर जाकर उसके बारे मैं कुछ बेहतरीन लिखता हूँ ।
तब मैंने आज निर्णय लिया की मैं अपनी पूरे परिवार के साथ देहरादून पर्यटन स्थल - झंडेवाला मंदिर मैं जाऊँगा तथा उसके बारे मैं लिखूंगा और कुछ नए चित्र लेकर आऊंगा तभी मैं अपने पुत्रियों और मेरी पत्नी मुस्कान के साथ झंडेवाला मंदिर के लिए निकलता हूँ ।
करीब १५ मिनट के बाद मैं सहारनपुर चौक के पास झंडेवाला मंदिर पहुच गए गया वहा पर मेरी पत्नी ने परसाद लिया।
जैसे ही मैं अंदर गुसने लगा तो मैं चौक गया जब मैंने करीब २२ फीट ऊचा झंडा लगा देखा और मैं उसको देखकर हैरान था की हर साल कैसे भक्तजन इस झंडे को उतारते तथा लगते हैं और हर साल हजारो भग्तजन इस मंदिर मैं आते है तथा अपने मुरादे पूरी करते हैं यह मंदीर वैसे तो सभी हिन्दू भाइयो कै लिए हैं परन्तु इसमें ज्यादातर सिख भाई आते है इसमें अंदर गुरु राम राय जी के समाधी है...
जैसे ही मैं और आगे बढ़ा तो मेरे कदम रूक गये उस विसल्काय दरवाजे को देखकर करीब १६ फीट लकड़ी का गेट जिसपर बहुत ही बढ़िया नक्कासी हो रखी है तथा साथ ही दीवारों पर बहुत सुंदर भित्तिचित्र बने हुए है जिनके कुछ फोटोग्राफ भी मैं यहाँ पर दिखा रहा हूँ ...
देहरादून पर्यटन स्थल मैं इस मंदिर का बड़ा महत्व हैं क्यूंकि कहते हैं के गुरु राम राय द्वारा ही देहरादून को बसाया गया था
गेट से अंदर घुसने के बाद बड़ा सा मैंदान है तथा उसके बाद फिर से एक छोटा सा गेट है जिससे अंदर घुसते ही मेरी छोटी बेटी बोलती है जो के ३ साल कीं है "पापा देखो ताजमहल" क्यूकी यहे बिलकुल ताजमहल के तरह दिख रहा था चार गुम्बद बीच मैं समाधी स्थल है
फिर हमने समाधी मैं परसाद चढ़ाया फिर हमने देखा की इस मंदिर के पीछे भी एक दरवाजा है जो के पलटन बाज़ार मैं खुलता है मेरे दोस्तों यहाँ पर हमने बड़ी सान्ती महसूस की और दोस्तों यहाँ पर एक तालाब भी है जिसमे हमने मछलियों को खाना खिलाया
उसके बाद कुछ देर तक बैठकर उस शांत वातावरण को महसूस किया और बहुत सारे फोटो खिचे तथा घर के लिया वापिस चल दिए और घर पर आकार फिर हमने महसूस किया की वहां पर बहुत सान्ती थी और मेरी बेटिया सो गयी और मैने फिर यहे ब्लॉग पोस्ट लिखना सुरू कर दीया जो के आपके सामने हैं
यदि आपको यह पोस्ट बढ़िया लगी तो कमेंट बॉक्स मैं कमेंट जरूर लिखना मैं लव कमेंट्स
देहरादून पर्यटन स्थल मैं जल्दी ही मैं दुसरे ब्लॉग के साथ फिर हाजिर होऊंगा
धन्यवाद
चन्दन सिंह पुंडीर
+९१८७५५१४४१०२
मैं तुम्हें समझ नहीं कैसे. यह सबसे बड़ा रहस्य है ... मुझे समझ में नहीं आता है, लेकिन मुझे लगता है कि मैं हिंदी में संपर्क कर सकता है प्रभावित कर रहा हूँ जो एक खूबसूरत पत्र,. शुभकामनाएं :)
ReplyDeleteVery Impressive my dear friend
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